
वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत की स्थिति: सवालों के घेरे में विकास का दावा
नई दिल्ली, 21 जनवरी: वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index) में भारत की स्थिति लगातार गिरावट का सामना कर रही है। 2013 में जहां भारत इस सूचकांक में 63वें स्थान पर था, वहीं 2024 में यह 105वें स्थान पर पहुंच गया। यह स्थिति भारत में भूख और कुपोषण जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
क्या है वैश्विक भुखमरी सूचकांक?
यह सूचकांक चार प्रमुख मापदंडों के आधार पर तैयार किया जाता है:
- कुपोषण की व्यापकता – जनसंख्या का वह हिस्सा जो पर्याप्त कैलोरी प्राप्त नहीं कर पा रहा है।
- बच्चों की कम वजन और कम लंबाई की दर – जो बच्चों के कुपोषण का संकेत देती है।
- बच्चों की मृत्यु दर – जो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का आकलन करती है।
- बच्चों के विकास में रुकावट – पांच साल से कम उम्र के बच्चों की शारीरिक विकास स्थिति।
भारत की स्थिति क्यों खराब हुई?
- असमान विकास: तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण के बावजूद ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
- महंगाई और बेरोज़गारी: बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी ने गरीब तबके के लोगों की पहुंच पोषणयुक्त भोजन तक सीमित कर दी है।
- स्वास्थ्य और पोषण योजनाओं की कमजोर क्रियान्विति: कई योजनाओं के बावजूद, ज़मीन पर उनका प्रभाव सीमित है।
सरकार का पक्ष
सरकार ने इस सूचकांक को लेकर अपनी असहमति जताई है। उनका कहना है कि सूचकांक में इस्तेमाल किए गए मापदंड भारत की स्थिति को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं करते। सरकार का दावा है कि योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और पोषण अभियान से लोगों को फायदा पहुंचा है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि सूचकांक भारत के सामाजिक और आर्थिक असमानता को दर्शाता है। योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाने की जरूरत है।
क्या करना होगा?
- कुपोषण को जड़ से मिटाने की योजनाएं: पोषणयुक्त भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता।
- शिक्षा का विस्तार: पोषण और स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाना।
- आर्थिक सुधार: महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करना।
भारत की यह गिरावट केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की ज़िंदगी और उनकी समस्याओं का प्रतिबिंब है। इसे सुधारने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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